राष्ट्रपति संदर्भ सुनवाई: उच्च संवैधानिक पदों को समयसीमा में बाँधना अनुचित – केंद्र
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राष्ट्रपति व राज्यपाल को तय समयसीमा में बाँधना असम्मानजनक होगा। ऐसे मुद्दे न्यायपालिका नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रक्रिया में सुलझाए जाने चाहिए।
राष्ट्रपति संदर्भ मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे उच्च संवैधानिक पदों को किसी तय समयसीमा में बाँधना अनुचित और असम्मानजनक होगा। केंद्र के वकीलों ने दलील दी कि इन पदों के कामकाज पर किसी तरह की समयसीमा थोपने का मामला न्यायालय के बजाय राजनीतिक क्षेत्र में बेहतर ढंग से सुलझाया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपने तर्क समाप्त करते हुए जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदाधिकारी संवैधानिक शपथ के तहत कार्य करते हैं और उनके फैसलों पर न्यायालयीय निगरानी के बजाय राजनीतिक जवाबदेही ही उपयुक्त माध्यम है।
केंद्र के अनुसार, ऐसे पदों के कार्य करने के तरीके पर समयबद्ध शर्त लगाने से उनकी संवैधानिक गरिमा प्रभावित हो सकती है। यह मुद्दा न्यायपालिका के हस्तक्षेप के बजाय लोकतांत्रिक विमर्श और राजनीतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
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राष्ट्रपति संदर्भ सुनवाई उस याचिका से जुड़ी है जिसमें यह सवाल उठाया गया है कि क्या राष्ट्रपति और राज्यपाल को विधानसभा में पारित विधेयकों या अन्य संवैधानिक दायित्वों पर कार्रवाई के लिए एक निश्चित समयसीमा में बाध्य किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विभिन्न पक्षों से तर्क सुने हैं और अब आगे की कार्यवाही पर विचार कर रही है।