कामारेड्डी में बाढ़ का प्रकोप: घर, उम्मीदें और फसलें जलप्रलय में बह गईं
कामारेड्डी में रिकॉर्ड बारिश से बाढ़ ने तबाही मचाई। कॉलोनियां डूब गईं, वाहन बह गए, फसलें नष्ट हुईं और सैकड़ों लोग छतों व राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए।
तेलंगाना का कामारेड्डी जिला इस समय भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। गणेश चतुर्थी का त्योहार यहां लोगों के लिए खुशियां नहीं, बल्कि तबाही लेकर आया। रिकॉर्ड बारिश ने पूरे जिले को आपदा क्षेत्र में बदल दिया है। कॉलोनियां पूरी तरह जलमग्न हो गईं, सड़कें टूट गईं और कई वाहन बाढ़ के पानी में बह गए।
सबसे गंभीर असर किसानों पर पड़ा है। खेतों में खड़ी धान और अन्य खरीफ फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। किसानों की मेहनत और उम्मीदें पानी में बह जाने से उनकी आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी स्थिति भयावह बनी हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मात्र तीन दिनों में 39.98 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो जिले की वार्षिक औसत वर्षा का लगभग 40.7 प्रतिशत है। इतनी भारी वर्षा ने सामान्य जीवन को पूरी तरह ठप कर दिया है। कई परिवारों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों या राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी। वहीं, कई लोग घरों की छतों पर फंसे रहे जिन्हें नावों और बचाव दलों की मदद से निकाला गया।
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प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन प्रभावित परिवारों को भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोग इसे अपने जीवन की सबसे भीषण बाढ़ मान रहे हैं।
कामारेड्डी की यह त्रासदी सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि यह संकेत भी है कि बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन किस तरह आम जनजीवन और कृषि पर गहरा असर डाल रहे हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ठोस नीतिगत कदम उठाने की आवश्यकता है।
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