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कुलपति चयन में मुख्यमंत्री की भूमिका पर आदेश के खिलाफ केरल राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे

केरल राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने मुख्यमंत्री को कुलपति चयन प्रक्रिया में भूमिका देने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, इसे संवैधानिक अधिकारों और विश्वविद्यालय स्वायत्तता के खिलाफ बताया।

केरल के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जो मुख्यमंत्री को दो विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (Vice Chancellors) के चयन में भूमिका देने से संबंधित है। राज्यपाल का कहना है कि यह आदेश विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और राज्यपाल के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

राज्यपाल, जो विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (Chancellor) होते हैं, ने तर्क दिया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप से उनकी निष्पक्षता और गुणवत्ता प्रभावित होगी। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री को खोज समिति (Search Committee) में शामिल करना संवैधानिक परंपराओं के विपरीत है और यह निर्णय राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित प्रतीत होता है।

केरल सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर मुख्यमंत्री को उन दो विश्वविद्यालयों के कुलपति चयन समिति में शामिल करने का प्रावधान किया था, जहां नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। सरकार का तर्क है कि इस कदम से प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी।

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राज्यपाल अर्लेकर ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस आदेश को निरस्त किया जाए और कुलपति नियुक्ति की पारंपरिक प्रक्रिया बरकरार रखी जाए। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच लंबे समय से चल रहे टकराव को और बढ़ा सकता है। सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में इस याचिका पर सुनवाई कर सकता है।

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