केरल में मतदाता सूची संशोधन अवधि बढ़ाने की मांग न्यायोचित और उचित: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल की SIR अवधि बढ़ाने की मांग पूरी तरह उचित है और चुनाव आयोग को इसे सहानुभूतिपूर्वक और वस्तुनिष्ठ तरीके से दो दिनों में विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 दिसंबर 2025) को कहा कि केरल सरकार, राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों द्वारा राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के अंतर्गत चल रहे मतदाता सूची प्रविष्टि (Enumeration Phase) को 13 दिसंबर से कम से कम एक सप्ताह आगे बढ़ाने की सामूहिक मांग “पूरी तरह न्यायोचित और उचित” है। अदालत ने कहा कि यह मांग चुनाव आयोग (ECI) द्वारा “गहन विचार” के योग्य है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत की अगुवाई वाली पीठ ने केरल सरकार को निर्देश दिया कि यदि राज्य ने पहले से कोई प्रतिवेदन (Representation) दाखिल नहीं किया है, तो वह 3 दिसंबर तक चुनाव आयोग के समक्ष विस्तार की अपनी विस्तृत वजहें रखते हुए एक प्रतिवेदन दाखिल करे। अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राज्य सरकार की इस मांग पर अगले दो दिनों में “सहानुभूतिपूर्वक और वस्तुनिष्ठ तरीके” से विचार करे।
पीठ ने कहा कि केरल में भारी वर्षा, त्योहारों, और अन्य प्रशासनिक कारणों से मतदाता सूची के संशोधन कार्य में देरी की स्थिति बनी है, ऐसे में राज्य द्वारा अतिरिक्त समय की मांग उचित है। अदालत ने यह भी माना कि राज्य की शिकायतें तार्किक हैं और आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में किसी पात्र मतदाता का नाम छूट न जाए।
और पढ़ें: एक पैर से लकवाग्रस्त होते हुए भी अमेठी की BLO ने पूरा किया SIR कार्य, जिला प्रशासन देगा सम्मान भोज
इस मामले में कई राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों ने भी आग्रह किया था कि मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के लिए अधिक समय दिया जाए ताकि सभी पात्र मतदाताओं को सही ढंग से जोड़ा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करे और राज्य द्वारा बताई गई व्यावहारिक कठिनाइयों को गंभीरता से देखे।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस चरण में कोई सख्त आदेश पारित नहीं कर रही, लेकिन उम्मीद करती है कि आयोग राज्य के अनुरोध पर अपने निर्णय लेते समय वास्तविक परिस्थितियों को ध्यान में रखेगा।
और पढ़ें: नागरिकता जांच में केंद्र की शक्ति सीमित: निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा