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2019 में तीन मंत्रालयों ने लद्दाख को जनजातीय दर्जा देने की मंजूरी दी

2019 में तीन मंत्रालयों और NCST ने लद्दाख को जनजातीय दर्जा देने की मंजूरी दी थी। 2022 में गृह मंत्रालय ने UT प्रशासन द्वारा विकास सुनिश्चित करने की बात कही।

साल 2019 में गृह मंत्रालय, जनजातीय मामलों का मंत्रालय और कानून मंत्रालय सहित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCST) ने लद्दाख को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इन तीनों मंत्रालयों और आयोग ने छठी अनुसूची के तहत लद्दाख में जनजातीय अधिकारों और संरक्षण को सुनिश्चित करने पर सहमति जताई थी।

छठी अनुसूची का उद्देश्य यह है कि संवेदनशील जनजातीय क्षेत्रों में पारंपरिक अधिकार, सामाजिक संरचना और संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। इसके तहत लद्दाख में रहने वाले जनजातीय समुदायों को अपने पारंपरिक भूमि अधिकार, शासन और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने का अधिकार मिलता।

हालांकि, 2022 में गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश (UT) प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि जनजातीय दर्जा लाने से जो “विकास” होगा, वह लोगों तक पहुंचे। गृह मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासन का मुख्य उद्देश्य लद्दाख के लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से लद्दाख में जनजातीय समुदायों के अधिकारों और संसाधनों की सुरक्षा तो सुनिश्चित होगी, लेकिन साथ ही प्रशासन को यह भी देखना होगा कि विकास परियोजनाएं और आर्थिक गतिविधियां जनजातीय हितों के साथ सामंजस्य में हों।

राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों ने कहा कि लद्दाख के जनजातीय दर्जे पर केंद्र की नीति में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि क्षेत्र में विकास और सांस्कृतिक संरक्षण दोनों साथ-साथ चलते रहें। यह फैसला स्थानीय समुदायों की भागीदारी और पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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