लोकसभा में चुनावी सुधारों पर 10 घंटे की बहस शुरू
लोकसभा ने चुनावी सुधारों पर 10 घंटे की बहस शुरू की। सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है, जबकि विपक्ष EVM, SIR और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है।
लोकसभा ने मंगलवार से चुनावी सुधारों पर केंद्रित एक लंबी और महत्वपूर्ण बहस की शुरुआत कर दी है। शीतकालीन सत्र के दौरान यह विषय सबसे प्रमुख एजेंडा बन गया है, जिसके लिए सदन ने 10 घंटे का विशेष समय निर्धारित किया है। बहस का समय सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच समान रूप से बांटा गया है, जिससे इसकी गंभीरता और संवेदनशीलता स्पष्ट होती है।
यह चर्चा कई महत्वपूर्ण मुद्दों को कवर करेगी, जिनमें चुनाव आयोग की भूमिका, चुनावी खर्च में पारदर्शिता, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की रोकथाम, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) पर भरोसे से जुड़ी चिंताएं और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया शामिल हैं।
सरकार का कहना है कि यह पूरा प्रयास चुनाव व्यवस्था को और मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए है। वहीं, विपक्ष निष्पक्ष चुनावों से जुड़े मुद्दों और “वन नेशन, वन इलेक्शन” जैसी प्रस्तावित योजनाओं पर कड़ी आपत्ति जताने की तैयारी में है।
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बहस की शुरुआत कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल करेंगे। भाजपा की ओर से निशिकांत दुबे, अभिजीत गांगोपाध्याय, संजय जयसवाल और पीपी चौधरी अपनी बात रखेंगे। पीपी चौधरी “वन नेशन, वन इलेक्शन” प्रस्ताव पर जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भी हैं।
शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से श्रीकांत शिंदे और नरेश म्हास्के हिस्सा लेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की तरफ से अरुण भारती बोलेंगे, जबकि तेलुगू देशम पार्टी की ओर से लवु श्री कृष्ण देवरेयालु और जीएम हरीश बालयोगी अपने विचार रखेंगे।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी बहस का नेतृत्व करेंगे। पिछले कुछ महीनों से राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और भाजपा पर चुनावी प्रक्रियाओं में हेरफेर के आरोप लगाए हैं, जिन्हें सरकार ने खारिज किया है।
कांग्रेस के अन्य कई सांसद भी बहस में भाग लेंगे। सरकार की तरफ से इस बहस का जवाब 10 दिसंबर को अर्जुन राम मेघवाल देंगे।
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