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पति-पत्नी के बीच संपत्ति विवाद केवल फैमिली कोर्ट में सुने जाएंगे: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच संपत्ति विवाद केवल फैमिली कोर्ट में ही सुने जाएंगे। जिला या सिविल अदालतों को ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है।

मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि पति-पत्नी के बीच संपत्ति से जुड़े विवादों की सुनवाई केवल फैमिली कोर्ट द्वारा ही की जा सकती है। अदालत ने कहा कि न तो जिला न्यायालय और न ही कोई अन्य अधीनस्थ सिविल कोर्ट ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकती है।

न्यायमूर्ति पी.बी. बालाजी ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट अधिनियम, 1984 के तहत पति-पत्नी के बीच उत्पन्न संपत्ति संबंधी विवाद स्पष्ट रूप से उसी अदालत के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इसलिए, यदि पति या पत्नी में से कोई भी संपत्ति विवाद से संबंधित मामला दर्ज करता है, तो उसे फैमिली कोर्ट में ही दायर किया जाना चाहिए।

अदालत के अनुसार, इस प्रावधान का उद्देश्य पति-पत्नी के बीच उत्पन्न विवादों का त्वरित और विशेषज्ञ समाधान प्रदान करना है। इससे अनावश्यक देरी और विभिन्न अदालतों के बीच अधिकार क्षेत्र की उलझन समाप्त होगी। न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट को ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष रूप से सक्षम बनाया गया है, ताकि घरेलू विवादों और पारिवारिक संपत्ति मामलों का निपटारा संवेदनशीलता और व्यावहारिक दृष्टिकोण से किया जा सके।

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इस आदेश के बाद, राज्य भर में उन मामलों पर असर पड़ेगा जहां पति-पत्नी के बीच संपत्ति को लेकर मुकदमे जिला या अन्य सिविल अदालतों में लंबित हैं। ऐसे मामलों को अब फैमिली कोर्ट में स्थानांतरित किया जाएगा।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न्याय प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाएगा तथा पति-पत्नी के बीच लंबे समय से चल रहे संपत्ति विवादों के समाधान में तेजी लाएगा।

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