उपद्रवी बंदरों को मानव बस्तियों से 10 किमी दूर छोड़ना अनिवार्य: महाराष्ट्र सरकार का नया आदेश
महाराष्ट्र सरकार ने उपद्रवी बंदरों को पकड़कर मानव बस्तियों से 10 किमी दूर छोड़ना अनिवार्य किया है। शिकायत, पकड़, स्वास्थ्य जांच और भुगतान की पूरी प्रक्रिया GR में स्पष्ट की गई है।
महाराष्ट्र वन विभाग ने पहली बार एक स्पष्ट नियम जारी किया है जिसके अनुसार शहरों और गांवों में उपद्रव करने वाले बंदरों को पकड़ने के बाद न्यूनतम 10 किलोमीटर दूर मानव बस्तियों से अलग किसी वन क्षेत्र में छोड़ना अनिवार्य होगा, ताकि वे आसानी से वापस न लौट सकें।
यह नया सरकारी प्रस्ताव (GR) मंगलवार (25 नवंबर 2025) को बढ़ती शिकायतों के बाद जारी किया गया। कई शहरों और गांवों में मकाक और लंगूर घरों में घुस रहे थे, संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे और कई मामलों में लोगों पर हमला कर उन्हें घायल भी कर रहे थे।
GR के अनुसार, यदि किसी स्थान पर मानव-बंदर टकराव की शिकायत दर्ज होती है, तो स्थानीय नगरपालिका या ग्राम पंचायत को शिकायत दर्ज कर वन विभाग के संबंधित रेंज अधिकारी को सूचित करना होगा। जांच के बाद प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम को बंदरों को पकड़ने की अनुमति दी जाएगी। प्रत्येक वन प्रभाग को अपनी रेस्क्यू टीमें बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं, और आवश्यकता पड़ने पर लाइसेंसधारी, अनुभवी हैंडलर्स को भी नियुक्त किया जा सकता है।
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पकड़े गए बंदरों का बुनियादी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। पारदर्शिता के लिए उनकी तस्वीरें और छोटे वीडियो रिकॉर्ड करना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही उन्हें सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ने की अनुमति होगी, और यह दूरी कम से कम 10 किलोमीटर होना आवश्यक है। इसका उद्देश्य बंदरों की भोजन की तलाश में मानव बस्तियों में बार-बार वापसी को रोकना है।
सरकार ने इस प्रक्रिया के वित्तीय पहलू भी तय किए हैं। रेस्क्यू टीम को प्रति बंदर ₹600 (10 बंदरों तक) और इसके बाद प्रत्येक बंदर के लिए ₹300 दिए जाएंगे, हालांकि प्रति घटना अधिकतम ₹10,000 की सीमा तय की गई है। पाँच बंदरों तक की छोटी कार्रवाइयों के लिए ₹1,000 का यात्रा भत्ता निर्धारित किया गया है। सभी भुगतान वन अधिकारी की जांच के बाद डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से किए जाएंगे।
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