17.7% आबादी के बावजूद मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या बेहद कम
बिहार में 17.7% मुस्लिम आबादी के बावजूद राजनीतिक दलों ने बहुत कम मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने कोई नहीं, जबकि कांग्रेस और जदयू ने केवल चार-चार नामित किए।
बिहार विधानसभा चुनावों में मुस्लिम समुदाय, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 17.7% हिस्सा है, को राजनीतिक दलों द्वारा एक बार फिर सीमित प्रतिनिधित्व मिला है। प्रमुख राजनीतिक दलों ने बहुत कम मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिससे समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है। वहीं, कांग्रेस और जनता दल (यूनाइटेड) ने केवल चार-चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को नामित किया है।
इसके विपरीत, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने वादा किया था कि वह 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी, लेकिन अब तक केवल 21 नाम घोषित किए हैं। यह आंकड़ा भी समुदाय की आबादी और प्रभाव को देखते हुए काफी कम माना जा रहा है।
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राज्य की 87 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम आबादी 20% से अधिक है, जबकि लगभग 75% मुसलमान बिहार के उत्तरी हिस्से में रहते हैं। इसके बावजूद, प्रमुख दलों की सूची में मुस्लिम चेहरों की कमी साफ झलकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दल अब भी वोट बैंक की राजनीति में मुस्लिम मतदाताओं को सिर्फ “समर्थन आधार” के रूप में देखते हैं, न कि प्रतिनिधि के रूप में। इससे समुदाय में राजनीतिक उपेक्षा और असंतोष बढ़ सकता है।
कई सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि सभी दल अल्पसंख्यक समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व दें ताकि लोकतंत्र में समान भागीदारी सुनिश्चित हो सके।