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राष्ट्रीय रक्त आधान विधेयक, 2025 का मरीजों ने किया स्वागत, थैलेसीमिया समूहों ने जताई संतुष्टि

राष्ट्रीय रक्त आधान विधेयक, 2025 का थैलेसीमिया मरीजों ने स्वागत किया, यह कानून रक्त सेवाओं को सुरक्षित, मानकीकृत और जवाबदेह बनाकर मरीजों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान करेगा।

थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों और उनके संगठनों ने संसद में शुक्रवार (12 दिसंबर 2025) को पेश किए गए राष्ट्रीय रक्त आधान विधेयक, 2025 का स्वागत किया है। मरीजों का कहना है कि यह प्रस्तावित कानून देश में रक्त सेवाओं को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और समान बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

इस विधेयक के तहत एक समर्पित राष्ट्रीय रक्त आधान प्राधिकरण (नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन अथॉरिटी) की स्थापना का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य पूरे देश में रक्त और रक्त घटकों के संग्रह, जांच, प्रसंस्करण, भंडारण, वितरण, निर्गमन और आधान के लिए एक समान राष्ट्रीय मानक तय करना है। इसके अलावा, सभी रक्त केंद्रों के अनिवार्य पंजीकरण, स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने और असुरक्षित या नियमों का पालन न करने वाली गतिविधियों पर सख्त दंड का प्रावधान भी इसमें शामिल है।

थैलेसीमिया पेशेंट्स एडवोकेसी ग्रुप (टीपीएजी) ने कहा कि यह विधेयक उन लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को सीधे तौर पर संबोधित करता है, जिनका सामना मरीजों, उनके देखभालकर्ताओं और चिकित्सकों को खंडित नियमन और असमान गुणवत्ता के कारण करना पड़ता था। संगठन के अनुसार, अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में नियमों की असमानता के चलते रक्त की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं बनी रहती थीं।

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मरीज संगठनों का मानना है कि इस सुधार से एक अधिक सुरक्षित, जवाबदेह और कुशल रक्त प्रणाली विकसित होने की उम्मीद है। थैलेसीमिया जैसे रोगों में मरीजों को जीवनभर नियमित रक्त आधान की आवश्यकता होती है, ऐसे में मानकीकरण और कड़े नियम उनके स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं।

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