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जैविक हथियारों के ख़तरे से निपटने के लिए मज़बूत वैश्विक ढांचा आवश्यक: जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि जैविक हथियारों के दुरुपयोग की आशंका बढ़ रही है और BWC में अनुपालन व निगरानी की कमी है। उन्होंने मजबूत वैश्विक ढांचा और वैज्ञानिक प्रगति की नियमित समीक्षा की मांग की।

भारत ने सोमवार (1 दिसंबर 2025) को बदलते वैश्विक सुरक्षा वातावरण को देखते हुए जैविक हथियारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक मज़बूत अंतरराष्ट्रीय ढांचे की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि गैर-राज्य तत्वों द्वारा जैविक हथियारों का “दुरुपयोग” अब कोई दूर की संभावना नहीं रह गया है, बल्कि एक वास्तविक और बढ़ता हुआ खतरा बन गया है। इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।

वे ‘बायलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन’ (BWC) की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। जयशंकर ने कहा कि दुनिया को बायोटेररिज़्म के खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार होने की आवश्यकता है। हालांकि, उन्होंने चिंता जताई कि BWC अब भी कई बुनियादी संस्थागत संरचनाओं से वंचित है।

उन्होंने कहा कि BWC के पास प्रभावी अनुपालन (compliance) प्रणाली, एक स्थायी तकनीकी निकाय और नई वैज्ञानिक प्रगति को ट्रैक करने का कोई ठोस तंत्र नहीं है। “इन कमियों को दूर करना आवश्यक है ताकि सदस्य देशों के बीच भरोसा और सुरक्षा दोनों मजबूत हो सकें”।

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जयशंकर ने कहा कि भारत लगातार BWC के भीतर मजबूत अनुपालन उपायों और आज की वैज्ञानिक वास्तविकताओं के अनुरूप सत्यापन प्रणाली की मांग करता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए सामग्री और उपकरणों के आदान-प्रदान को सक्षम बनाने हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहायता का समर्थन करता है।

उन्होंने वैज्ञानिक और तकनीकी विकास की नियमित समीक्षा की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया, ताकि शासन व्यवस्था नवाचार की गति के अनुरूप चल सके। जयशंकर ने कहा कि तेजी से बदलती तकनीकों के युग में प्रभावी वैश्विक सुरक्षा ढांचा न केवल आवश्यक है, बल्कि अनिवार्य हो चुका है।

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