देश की दस्तावेजी विरासत निजी संपत्ति नहीं; नेहरू के कागजात सोनिया गांधी के पास, सहयोग का दिया आश्वासन: शेखावत
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, नेहरू के निजी पत्र और नोट्स 2008 में सोनिया गांधी ले गई थीं। मंत्री शेखावत ने कहा कि उन्होंने सहयोग का लिखित आश्वासन दिया है।
देश की ऐतिहासिक और दस्तावेजी विरासत को लेकर एक अहम मुद्दा सामने आया है। संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार को सोशल मीडिया पोस्ट की एक श्रृंखला में पहली बार आधिकारिक रूप से यह जानकारी दी कि वर्ष 2008 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी पारिवारिक पत्रों और नोट्स को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (उस समय नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी) से अपने साथ ले गई थीं। मंत्रालय के अनुसार, ये दस्तावेज 51 कार्टन में पैक किए गए थे और इनमें नेहरू जी के निजी पत्र और नोट्स शामिल थे।
संस्कृति मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) इन दस्तावेजों को वापस प्राप्त करने के लिए सोनिया गांधी के साथ लगातार पत्राचार कर रहा है। मंत्रालय का कहना है कि ये कागजात किसी व्यक्ति विशेष की निजी संपत्ति नहीं है, बल्कि देश की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत का हिस्सा है, जिन्हें सार्वजनिक संस्थानों में सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ये दस्तावेज उनके पास हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि वह इस मुद्दे पर सरकार और संबंधित संस्थानों के साथ सहयोग करेंगी। मंत्री शेखावत ने दोहराया कि देश के पहले प्रधानमंत्री से जुड़े दस्तावेज ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन्हें सुरक्षित रखकर शोधकर्ताओं, इतिहासकारों और आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
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सरकार का तर्क है कि इस तरह के दस्तावेज केवल किसी परिवार की धरोहर नहीं होते, बल्कि वे राष्ट्र की सामूहिक स्मृति और इतिहास का हिस्सा होते हैं। ऐसे में उनका संरक्षण और सार्वजनिक उपयोग सुनिश्चित करना सरकार और संस्थानों की जिम्मेदारी है।
यह मामला राजनीतिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टियों से अहम माना जा रहा है और आने वाले दिनों में इस पर और स्पष्टता आने की उम्मीद है।
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