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पंकज चौधरी बन सकते हैं यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष, 7 बार के सांसद और ओबीसी नेता पर पार्टी का दांव

बीजेपी 2027 चुनावों को ध्यान में रखते हुए सात बार के सांसद और ओबीसी नेता पंकज चौधरी को यूपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है, जिससे गैर-यादव वोटों को साधने की रणनीति है।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उत्तर प्रदेश इकाई के नए अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की नियुक्ति की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, रविवार को लखनऊ में होने वाले एक भव्य कार्यक्रम में उनके नाम की औपचारिक घोषणा हो सकती है। अधिकारी बताते हैं कि पंकज चौधरी आज अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री और यूपी संगठनात्मक चुनावों के प्रभारी पीयूष गोयल तथा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के मौजूद रहने की संभावना है।

पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश के महराजगंज संसदीय क्षेत्र से सात बार के सांसद हैं। वह एक राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनकी मां उज्ज्वल चौधरी महराजगंज जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं। पंकज चौधरी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। उनका राजनीतिक सफर स्थानीय स्तर से शुरू हुआ, जब वे 1989 से 1991 तक गोरखपुर नगर निगम के सदस्य रहे। इस दौरान उन्होंने एक वर्ष तक डिप्टी मेयर के रूप में भी काम किया। बाद में उन्हें गोरखपुर का उपमहापौर भी बनाया गया। वर्ष 1990 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में उन्हें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बनाया गया। जातीय समीकरणों की बात करें तो पंकज चौधरी कुर्मी समुदाय से आते हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल है। उत्तर प्रदेश में यादवों के बाद कुर्मी ओबीसी का दूसरा सबसे बड़ा समूह माना जाता है। राज्य में कुर्मी मतदाता लगभग 8 से 10 प्रतिशत हैं और 30 से 40 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव है। तराई, काशी, गोरखपुर, अवध और रोहिलखंड क्षेत्रों में इनकी निर्णायक भूमिका मानी जाती है।

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संतोष गंगवार के राज्यपाल बनने के बाद पंकज चौधरी बीजेपी के प्रमुख कुर्मी नेताओं में उभरे हैं। पार्टी ने अनुप्रिया पटेल की अपना दल (सोनेलाल) से गठबंधन कर भी कुर्मी वोटों को साधने की कोशिश की है। 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर गैर-यादव वोटों को मजबूत करना चाहती है।

सूत्रों के मुताबिक, पंकज चौधरी की नियुक्ति के बाद क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल भी संभव है। मध्य यूपी से प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है। कुछ मंत्रियों की जिम्मेदारियों में बदलाव या प्रदर्शन के आधार पर हटाए जाने की भी संभावना जताई जा रही है।

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