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डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में भ्रष्टाचार का आरोप, पायलट संगठनों ने संसदीय पैनल से की शिकायत

पायलट संगठनों ने डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। इंडिगो संकट पर संसदीय समिति में चर्चा हुई, जहां 5,000 उड़ानें रद्द होने का मुद्दा उठा।

देश के प्रमुख पायलट संगठनों ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में गहरे स्तर पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे को संसदीय समिति के समक्ष उठाया है। यह शिकायत उस बैठक के दौरान की गई, जिसमें दिसंबर की शुरुआत से इंडिगो एयरलाइंस में उत्पन्न परिचालन संकट पर चर्चा की गई। इस संकट के कारण 5,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं, जिससे कम से कम 12.5 लाख यात्री प्रभावित हुए।

पायलट संगठनों का कहना है कि नियामक एजेंसियों और मंत्रालय की लापरवाही, कमजोर निगरानी व्यवस्था और कथित भ्रष्टाचार ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। उनका आरोप है कि सुरक्षा मानकों और संचालन से जुड़े नियमों के पालन में पारदर्शिता की कमी है, जिसका सीधा असर विमानन उद्योग और यात्रियों पर पड़ रहा है।

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति से संबंधित विभागीय संसदीय स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता सांसद संजय के. झा ने की। इस बैठक का उद्देश्य पायलटों के लिए संशोधित विश्राम और ड्यूटी मानदंडों के प्रभाव की समीक्षा करना था। पायलट संगठनों ने समिति को बताया कि नए नियम लागू करते समय एयरलाइंस द्वारा पर्याप्त क्रू योजना नहीं बनाई गई, जिसके चलते बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।

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समिति के समक्ष यह भी कहा गया कि यदि समय रहते उचित योजना और नियामक मार्गदर्शन दिया गया होता, तो इस तरह की परिचालन विफलता से बचा जा सकता था। पायलट संगठनों ने मांग की कि डीजीसीए और मंत्रालय की कार्यप्रणाली की निष्पक्ष जांच हो और भविष्य में यात्रियों को ऐसी परेशानियों से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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