पीएम मोदी का दावा: कांग्रेस असम को पूर्वी पाकिस्तान में जाने देती, जानिए 1946 की योजना और नेहरू-गांधी की भूमिका
पीएम मोदी ने कहा कि 1946 में कांग्रेस की चुप्पी से असम के पूर्वी पाकिस्तान में जाने का खतरा था, जिसे मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई ने विरोध कर टाल दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े होकर असम को भारत से अलग होने से बचाया। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आज़ादी से पहले कांग्रेस की नीतियों और तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण असम को पूर्वी पाकिस्तान में शामिल किए जाने की योजना बनाई जा रही थी।
20 दिसंबर को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले कांग्रेस असम की पहचान मिटाने की साजिश का हिस्सा बन रही थी। उन्होंने कहा कि जब मुस्लिम लीग और ब्रिटिश सत्ता मिलकर भारत के विभाजन की ज़मीन तैयार कर रहे थे, तब एक योजना के तहत असम को भी पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने की तैयारी थी। प्रधानमंत्री के अनुसार, कांग्रेस भी उस साजिश का हिस्सा बनने वाली थी, लेकिन उस समय गोपीनाथ बोरदोलोई ने अपनी ही पार्टी का विरोध किया।
पीएम मोदी ने कहा कि बोरदोलोई ने असम की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को बचाने के लिए निर्णायक संघर्ष किया। उन्होंने इस कदम का विरोध किया, जिससे असम को भारत से अलग किए जाने की योजना विफल हो गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि बोरदोलोई का यह साहसिक रुख असम के इतिहास में निर्णायक साबित हुआ।
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इतिहास के अनुसार, 1946 में कैबिनेट मिशन प्लान के दौरान भारत के संघीय ढांचे को लेकर व्यापक बहस चल रही थी। मुस्लिम लीग एक ढीले संघ की पक्षधर थी, जिसमें मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता मिलती। इसी संदर्भ में असम को बंगाल के साथ जोड़कर पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बनाए जाने की आशंका पैदा हुई थी। गोपीनाथ बोरदोलोई ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और महात्मा गांधी से समर्थन मांगा। कहा जाता है कि गांधी ने बोरदोलोई का समर्थन किया, जिसके बाद असम भारत का अभिन्न हिस्सा बना रहा।
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