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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नैनीताल राजभवन की 125वीं वर्षगांठ पर कहा – राजभवन राज्यों की लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नैनीताल राजभवन की 125वीं वर्षगांठ पर कहा कि राजभवन राज्यों की लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रतीक हैं और सादगी व संवेदनशीलता के मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को उत्तराखंड के नैनीताल स्थित राजभवन की स्थापना के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लिया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्होंने राज्य के लोगों और प्रशासन को बधाई दी तथा कहा कि राजभवन केवल एक भवन नहीं, बल्कि राज्य की लोकतांत्रिक परंपरा और प्रशासनिक विरासत का प्रतीक है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जिस प्रकार राष्ट्रपति भवन राष्ट्रीय स्तर पर गणराज्य का प्रतिनिधित्व करता है, उसी प्रकार राजभवन राज्यों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गठन के बाद यह ऐतिहासिक भवन राज्य की प्रगति यात्रा का अभिन्न हिस्सा बन गया है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत की संसदीय प्रणाली में राज्यपाल राज्य के शासन का संवैधानिक प्रमुख होता है और संविधान निर्माताओं ने उसके अधिकारों एवं दायित्वों को बड़ी सावधानी से निर्धारित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि आम जनता राजभवन को श्रद्धा और सम्मान से देखती है, इसलिए यहां कार्यरत सभी लोगों को सादगी, विनम्रता, नैतिकता और संवेदनशीलता के मूल्यों का पालन करना चाहिए।

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राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की निरंतर प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि राज्यपाल और उनकी टीम आगे भी जनता को प्रेरित करते हुए राज्य के विकास में योगदान देती रहेगी।

नैनीताल राजभवन, जो ब्रिटिश काल में निर्मित एक भव्य इमारत है, उत्तराखंड की प्रशासनिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसकी 125वीं वर्षगांठ राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज की गई।

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