राष्ट्रपति ने मद्रास विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक लौटाया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कुलपति नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को देने वाले मद्रास विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को UGC नियमों से टकराव के चलते विधानसभा को लौटाया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मद्रास विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को तमिलनाडु विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है। एक आधिकारिक सूत्र ने मंगलवार (30 दिसंबर 2025) को इसकी जानकारी दी। यह विधेयक राज्य सरकार को विश्वविद्यालय के कुलपति (वाइस चांसलर) की नियुक्ति का अधिकार देने के उद्देश्य से लाया गया था।
तमिलनाडु विधानसभा ने इस विधेयक को अप्रैल 2022 में पारित कर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। इसका मकसद 168 वर्ष पुराने मद्रास विश्वविद्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण में बदलाव करना था, जो पिछले दो वर्षों से अधिक समय से नियमित कुलपति के बिना संचालित हो रहा है।
इस विधेयक में मद्रास विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव था, जिसके तहत कुलपति की नियुक्ति और हटाने का अधिकार राज्यपाल से लेकर राज्य सरकार को सौंपा जाना था। वर्तमान में राज्यपाल विश्वविद्यालय के पदेन कुलाधिपति (एक्स-ऑफिसियो चांसलर) होते हैं। इसके लिए अधिनियम में “चांसलर” शब्द को हटाकर उसकी जगह “सरकार” शब्द जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया था।
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हाल ही में राष्ट्रपति ने इस विधेयक को विधानसभा को लौटाते हुए पुनर्विचार का निर्देश दिया। इससे पहले तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने भी इस विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखते हुए आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि प्रस्तावित बदलाव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों और कुलपति नियुक्ति से जुड़े स्थापित मानकों के अनुरूप नहीं है।
विधेयक के लौटाए जाने के बाद अब तमिलनाडु विधानसभा को इस पर दोबारा विचार करना होगा। अधिकारियों के अनुसार, राज्य के 22 विश्वविद्यालयों में से लगभग 14, जिनमें मद्रास विश्वविद्यालय भी शामिल है, वर्तमान में नियमित कुलपतियों की अनुपस्थिति में संयोजक समितियों के माध्यम से संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति राज्य में उच्च शिक्षा प्रशासन को लेकर जारी खींचतान को भी दर्शाती है।
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