आरबीआई मौद्रिक नीति समिति का निर्णय: रेपो रेट 5.5% पर स्थिर
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 5.5% पर यथावत रखने का फैसला किया। गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक स्थिरता के लिए यह कदम जरूरी है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने तीन दिवसीय बैठक के बाद प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह कदम आर्थिक स्थिरता और मुद्रास्फीति नियंत्रण के मद्देनज़र उठाया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा आर्थिक संकेतक संतुलित स्थिति दर्शा रहे हैं। मुद्रास्फीति में गिरावट देखने को मिल रही है, जबकि आर्थिक विकास दर अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में रेपो रेट को यथावत रखना आवश्यक था ताकि निवेश और उपभोग दोनों को बढ़ावा मिल सके।
बैठक में यह भी आकलन किया गया कि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। गवर्नर ने कहा कि आरबीआई सतर्क दृष्टिकोण बनाए हुए है और ज़रूरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाएगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट स्थिर रहने से होम लोन, वाहन लोन और अन्य खुदरा ऋणों की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। इससे आम उपभोक्ताओं और उद्योग जगत को राहत मिलेगी। हालांकि, आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ नीतिगत फैसलों को प्रभावित कर सकती हैं।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई का प्राथमिक उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना और आर्थिक वृद्धि को समर्थन देना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार और आरबीआई के संयुक्त प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत और स्थायी रूप से आगे बढ़ेगी।
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