जब पानी ही धरती को झुलसाने लगे
गोदावरी डेल्टा के नौ गांवों में खारे पानी से एक लाख नारियल के पेड़ नष्ट। मानवजनित संकट ने किसानों की आजीविका, अर्थव्यवस्था और पीढ़ियों पुराने नारियल खेती के संबंध को खतरे में डाला।
पिछले छह वर्षों में आंध्र प्रदेश के केंद्रीय गोदावरी डेल्टा के नौ गांवों में एक लाख से अधिक नारियल के पेड़ मर चुके हैं। इसका कारण है खारे बैकवॉटर का फैलाव, जिसने कभी जीवनदायी रही जलधारा को जहरीला बना दिया है और मिट्टी को बंजर कर दिया है। यह मानव-जनित आपदा स्थानीय किसानों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है, अर्थव्यवस्था को पंगु बना रही है और नारियल की खेती पर आधारित पीढ़ियों पुराने रिश्ते को तोड़ने की धमकी दे रही है।
नारियल की खेती इन गांवों की मुख्य आजीविका रही है, लेकिन खारे पानी के लगातार प्रवेश ने मिट्टी की उर्वरता नष्ट कर दी है। किसान वर्षों की मेहनत के बाद भी उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। कई परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं और पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या पूरी तरह मानव निर्मित है। नदी जल प्रबंधन में लापरवाही और बैराजों व नहरों के असंतुलित संचालन के कारण खारा पानी अंदर तक घुस आया है। इसने न केवल नारियल के पेड़ों को मारा है, बल्कि भूमिगत जलस्तर को भी खराब कर दिया है।
और पढ़ें: किसान, मछुआरे और पशुपालकों के हितों पर आंच नहीं आने देंगे: पीएम मोदी
स्थानीय लोग सरकार से त्वरित समाधान की मांग कर रहे हैं—बैराज संचालन में सुधार, खारे पानी को रोकने के लिए स्थायी बांध और मिट्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वैज्ञानिक उपाय। यदि शीघ्र कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट न केवल खेती को खत्म करेगा, बल्कि ग्रामीण जीवन की सामाजिक और आर्थिक संरचना को भी तोड़ देगा।
और पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का 103 मिनट का भाषण, अब तक का सबसे लंबा संबोधन