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भारतीय बैंकिंग सेक्टर में बड़े विलय का संकेत—SBI ने जताया समर्थन

SBI ने सरकारी बैंकों के नए विलय दौर का समर्थन किया। चेयरमैन सेटी के अनुसार बड़े बैंक आर्थिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है। SBI तेजी से विस्तार की तैयारी में है।

भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने सरकारी बैंकों के बीच एक और बड़े विलय के दौर का समर्थन किया है। SBI के चेयरमैन चल्ला श्रीनिवासुलु सेटी ने कहा कि देश की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को बड़े और सक्षम बैंकिंग ढांचे की आवश्यकता है, और कुछ छोटे व कमजोर बैंक अभी भी विलय की जरूरत में हैं। सेटी ने इसे “एक बेहतर विचार” बताते हुए कहा कि नए विलय बैंकों को बड़े पैमाने पर काम करने और विकास परियोजनाओं में बेहतर वित्तीय सहयोग देने में सक्षम बनाएंगे।

SBI वर्तमान में भारत के 194 लाख करोड़ रुपये के ऋण बाजार का 25% नियंत्रित करता है। पिछले दशक में कई सरकारी बैंकों के विलय के बाद अब केवल 12 सरकारी बैंक रह गए हैं, जो HDFC Bank और HSBC जैसे निजी और विदेशी बैंकों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। लगभग $787 बिलियन बैलेंस शीट, 22,500+ शाखाएं और 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ SBI बैंकिंग उद्योग में स्पष्ट रूप से अग्रणी है।

भारत सरकार देश में बड़े और अधिक मजबूत सरकारी बैंकों के निर्माण पर विचार कर रही है, ताकि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक परियोजनाओं को वित्तपोषण मिल सके। इसके लिए बैंक ऋण को GDP के 56% से बढ़ाकर 130% तक ले जाना होगा।

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सेटी ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों का कुछ प्रभाव पड़ा है, लेकिन SBI किसी भी सेक्टर में बड़ी चिंता नहीं देख रहा है और निर्यातकों को समर्थन देता रहेगा। बैंक ने इस वर्ष अपने क्रेडिट ग्रोथ अनुमान को 11–12% से बढ़ाकर 12–14% कर दिया है।

SBI, जो 55% सरकारी स्वामित्व वाला है, अपने बाजार हिस्से को और बढ़ाने की योजना बना रहा है। सेटी ने कहा कि विदेशी पूंजी से प्रतिस्पर्धा को वे खतरे के रूप में नहीं देखते। भारतीय बैंकिंग सेक्टर में बड़े सौदों और M&A फंडिंग के नए नियमों पर भी SBI ने सकारात्मक रुख दिखाया है।

पिछले एक वर्ष में SBI के शेयरों में 19% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो भारतीय बैंकिंग सेक्टर में बढ़ती निवेशक रुचि को दर्शाता है।

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