सुप्रीम कोर्ट ने अर्द्धअधिकार प्राप्त वित्तीय संपत्तियों का पता लगाने के लिए पोर्टल की याचिका पर केंद्र और RBI से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और RBI से जवाब मांगा कि वे नागरिकों को निष्क्रिय और अनक्लेम्ड वित्तीय संपत्तियां खोजने और पुनः प्राप्त करने के लिए केंद्रित पोर्टल बनाने पर प्रतिक्रिया दें।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से जवाब मांगा है कि वे ऐसे केंद्रित पोर्टल की स्थापना पर अपनी प्रतिक्रिया दें, जो नागरिकों को उनके अक्रिय या बिना दावा की गई वित्तीय संपत्तियों का पता लगाने और उन्हें पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाए।
यह नोटिस एक याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि सभी बैंक, बीमा कंपनियां और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों की अनक्लेम्ड या निष्क्रिय संपत्तियों की जानकारी को एक केंद्रीकृत प्रणाली में जोड़ें। इससे नागरिक आसानी से अपने खातों, बांड्स, एफडी या अन्य वित्तीय उपकरणों का संपत्ति स्थिति का पता लगा सकेंगे और उन्हें पुनः दावा कर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह का पोर्टल नागरिकों के वित्तीय अधिकारों को सुरक्षित करने और उनकी संपत्तियों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। साथ ही, यह बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं में पारदर्शिता को भी बढ़ाएगा।
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अधिवक्ता और नागरिक समूहों का कहना है कि भारत में लाखों करोड़ रुपए की वित्तीय संपत्तियां अनक्लेम्ड या निष्क्रिय रह जाती हैं, जिन्हें आसानी से उनके मालिकों तक पहुँचाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और RBI को निर्देश दिया है कि वे याचिका पर अपना पक्ष पेश करें और आवश्यक कदम उठाने की संभावना पर विचार करें। इस कदम से वित्तीय संपत्तियों की सुरक्षा, पारदर्शिता और नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह पोर्टल लागू होता है तो यह न केवल संपत्ति पुनर्प्राप्ति में सहायक होगा, बल्कि देश में वित्तीय समावेशन को भी मजबूत करेगा।
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