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दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों ने छिपी भूख और शिशु मस्तिष्क विकास पर प्रभावों पर की चर्चा

दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं में पोषण की कमी और उसके शिशुओं के मस्तिष्क विकास पर प्रभावों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।

नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में दक्षिण एशियाई देशों के विशेषज्ञों ने छिपी भूख’ (Hidden Hunger) और उसके गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं के मस्तिष्क विकास पर प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की। यह सम्मेलन सीताराम भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च में शुक्रवार को संपन्न हुआ।

इस बैठक का आयोजन SACMIND (South Asia Consortium for Micronutrients and Infant Neurodevelopment) के तहत किया गया, जिसमें भारत, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के वैज्ञानिकों एवं जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसके अलावा, यूनिसेफ (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लेकर इस क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए।

बैठक में विशेषज्ञों ने कहा कि छिपी भूख’ यानी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी दक्षिण एशिया में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो बाहरी रूप से दिखाई नहीं देती, लेकिन गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। उन्होंने बताया कि आयरन, जिंक, आयोडीन, विटामिन A और फोलिक एसिड जैसी आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से शिशुओं का मस्तिष्क विकास बाधित हो सकता है, जिससे उनकी सीखने और सोचने की क्षमता प्रभावित होती है।

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विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि सरकारों को गर्भवती महिलाओं के पोषण कार्यक्रमों में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की निगरानी और वितरण को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और सक्षम बनाया जा सके।

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