सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: मतदाता सूची में 12वें पहचान दस्तावेज़ के रूप में माना जाएगा आधार
सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मतदाता सूची में 12वें पहचान दस्तावेज़ के रूप में मान्यता दी, पर स्पष्ट किया कि इसे नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा, केवल पहचान सत्यापन हेतु उपयोग होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि मतदाता सूची से संबंधित दावों और आपत्तियों में आधार कार्ड को 12वें पहचान दस्तावेज़ के रूप में माना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार का उपयोग केवल पहचान प्रमाण के रूप में किया जाएगा, न कि भारतीय नागरिकता के प्रमाण के रूप में।
आदेश में कहा गया है कि जैसे अन्य 11 दस्तावेजों की प्रामाणिकता और वास्तविकता की जांच चुनाव आयोग करता है, वैसे ही आधार कार्ड की भी जांच की जाएगी। चुनाव आयोग के अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे प्रस्तुत किए गए आधार कार्ड की सत्यता की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि वह असली है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दोहराया कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। इस कदम का उद्देश्य केवल पहचान प्रक्रिया को आसान और व्यवस्थित बनाना है। अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार को भारतीय नागरिकता का प्रमाण मानने की किसी भी आशंका को दूर किया जाए।
और पढ़ें: नकल और अनुचित साधनों से पूरी परीक्षा प्रणाली को बर्बाद कर रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों से कहा
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में सहायक होगा। पहचान सत्यापन की प्रक्रिया अधिक सरल होगी और गलत दस्तावेज़ जमा करने की संभावना कम होगी।
चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता सूची से संबंधित मामलों में पहले से 11 दस्तावेज़ों को स्वीकार किया जाता था। अब आधार को शामिल किए जाने से यह सूची और व्यापक हो गई है।
और पढ़ें: केरल सुप्रीम कोर्ट के टीईटी फैसले को देगा चुनौती, 50,000 शिक्षकों पर संकट