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सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल गिरफ्तारी पर जताई चिंता, CBI जांच पर विचार

सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती डिजिटल गिरफ्तारी घटनाओं पर चिंता जताई और कहा कि इन साइबर अपराधों की जांच CBI को सौंपी जा सकती है ताकि समन्वित कार्रवाई हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (27 अक्टूबर 2025) को देशभर में तेजी से बढ़ रहे “डिजिटल गिरफ्तारी” (Digital Arrest) के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा कि कई राज्यों में लोग इस नए साइबर अपराध के शिकार बन रहे हैं और न्याय पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि इन डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा सकती है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच समन्वित कार्रवाई की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ठग अब खुद को जज, पुलिस अधिकारी या सरकारी जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते हैं। वे नकली दस्तावेजों और फर्जी वारंट का इस्तेमाल कर लोगों को “डिजिटल गिरफ्तारी” में फंसाते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठते हैं।

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अदालत ने यह भी कहा कि साइबर अपराध का यह रूप लोगों की निजता और सुरक्षा दोनों के लिए गंभीर खतरा है। पीठ ने केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि अब तक इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा कि “डिजिटल गिरफ्तारी” जैसी घटनाएं जनता के विश्वास को कमजोर कर रही हैं और इन्हें रोकने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की रणनीति जरूरी है।

 

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