सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों पर मांगी गई राय पर करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों को लेकर आए संवैधानिक संदर्भ पर सुनवाई करेगा, जिसमें न्यायिक आदेशों की सीमाओं पर सवाल उठाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई करेगा, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों और उनके कार्यक्षेत्र को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है। यह मामला राष्ट्रपति की ओर से आए एक संदर्भ (Presidential Reference) से जुड़ा है, जिसमें पूछा गया है कि क्या न्यायालय यह तय कर सकता है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल कब और कैसे किसी राज्य विधेयक पर निर्णय लें।
इस संदर्भ में विशेष रूप से 8 अप्रैल, 2024 को आए सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर सवाल उठाया गया है जिसमें अदालत ने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को लेकर राज्यपाल की सहमति (assent) को अनिवार्य और समयबद्ध बताया था। उस फैसले में यह कहा गया था कि राज्यपाल विधेयकों पर अनिश्चितकाल तक निर्णय को लंबित नहीं रख सकते।
राष्ट्रपति द्वारा दायर यह संवैधानिक संदर्भ अब शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने रखा जाएगा। इस मामले में यह स्पष्ट किया जाएगा कि क्या न्यायपालिका राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदाधिकारियों की शक्तियों पर समयसीमा या प्रक्रिया निर्धारित कर सकती है।
इस सुनवाई से न केवल तमिलनाडु बल्कि अन्य राज्यों के विधायी मामलों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, खासकर तब जब राज्य और केंद्र सरकारों के बीच राजनीतिक मतभेद उभरते हैं। यह मामला संघीय ढांचे, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति संतुलन को लेकर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।