सुप्रीम कोर्ट वकील चाहते हैं, कॉलेजियम प्रणाली में सुधार हो
सुप्रीम कोर्ट वकीलों ने कॉलेजियम प्रणाली में सुधार की मांग की, न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता, न्यायसंगत प्रक्रिया और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए।
सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ वकीलों ने कॉलेजियम प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया की कमी है, जिसके चलते उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सवाल उठते रहते हैं।
वकीलों ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए एक सुसंगठित, पारदर्शी और न्यायसंगत ढांचा आवश्यक है। उनका मानना है कि नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम के निर्णयों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने से न्यायपालिका पर जनता का भरोसा मजबूत होगा।
इसके अलावा, वकीलों ने यह भी कहा कि मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली में निर्णय लेने की प्रक्रिया में बाहरी निगरानी का अभाव है और यह केवल एक सीमित समूह के निर्णय पर निर्भर रहती है। इससे यह समस्या उत्पन्न होती है कि उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियों में संभावित पक्षपात और असमानता बनी रह सकती है।
वकीलों ने सुझाव दिया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में स्पष्ट मापदंड, पारदर्शी प्रक्रिया और जवाबदेही होनी चाहिए। इससे न केवल न्यायपालिका की विश्वसनीयता बढ़ेगी बल्कि न्यायाधीशों की योग्यता और पात्रता के आधार पर चयन सुनिश्चित होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कॉलेजियम प्रणाली में सुधार नहीं हुआ, तो इससे न्यायपालिका में दीर्घकालीन प्रभाव पड़ सकता है। पारदर्शी और न्यायसंगत प्रणाली लागू करना जरूरी है ताकि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में नियुक्त न्यायाधीशों का चयन निष्पक्ष बने।
और पढ़ें: किशोरों की सहमति की वैधानिक आयु पर सुनवाई 12 नवंबर को: सुप्रीम कोर्ट