सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं के लिए जिला जज बनने का रास्ता खोला, राज्यों को तीन माह में सेवा नियम बदलने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को तीन माह में नियम बदलने का आदेश दिया, ताकि युवा और योग्य वकील सीधे जिला जज बन सकें, न्यायपालिका में नई प्रतिभा को प्रोत्साहन मिले।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए युवा विधि प्रतिभाओं के लिए जिला न्यायाधीश (District Judge) बनने का मार्ग प्रशस्त किया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें अपने सेवा नियमों में संशोधन कर युवा और योग्य वकीलों को सीधे जिला जज नियुक्त करने का अवसर दें।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश तीन महीनों के भीतर अपने सेवा नियमों को पुन:निर्धारित करें और यह कार्य संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से किया जाए।
यह निर्णय उस याचिका के बाद आया जिसमें कहा गया था कि वर्तमान सेवा नियमों के तहत जिला जज पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम उम्र सीमा और अनुभव की शर्तें इतनी कठोर हैं कि युवा और प्रतिभाशाली वकील इस पद तक पहुंच नहीं पाते। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में ऊर्जा, नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसे केवल युवा विधिज्ञ ही ला सकते हैं।
अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 233 के तहत उच्च न्यायालयों को जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, ताकि योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिल सके।
कानूनी विशेषज्ञों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे न केवल न्यायिक सेवा में गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि कैरियर के शुरुआती चरण में ही प्रतिभाशाली युवाओं को न्यायपालिका में शामिल होने का मौका मिलेगा।
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