राष्ट्रपति और राज्यपालों की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश — 10 बिंदुओं में पूरी व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल बिलों पर निर्णय देने के लिए समय-सीमा से बाध्य नहीं हैं। उनके निर्णय न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आते, सिवाय कानून बनने के बाद।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने या लौटाने के मामले में राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी निर्धारित समय-सीमा से बंधे नहीं हैं। यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की, जो सोमवार को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
यह मामला राष्ट्रपति द्वारा दाखिल किए गए उस संदर्भ से जुड़ा है जिसमें अप्रैल 12 के फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। उस फैसले में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा विधेयकों को रोके रखने को "अवैध" कहा था।
कोर्ट ने अगस्त में सुनवाई शुरू की थी और स्पष्ट किया था कि वह केवल सलाहकारी भूमिका (advisory role) में ही जवाब दे रही है और पुराना आदेश प्रभावी रहेगा। गुरुवार को कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा किए गए कार्य 'न्यायिक समीक्षा' के दायरे में नहीं आते, यानी उनके निर्णयों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। न्यायिक समीक्षा केवल तब संभव है जब कोई विधेयक कानून बन चुका हो।
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताए गए 10 मुख्य बिंदु:
- Article 200 के तहत राज्यपाल को विधेयक पर निर्णय लेने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती।
- यदि राज्यपाल किसी बिल को रोकते हैं, तो उसे वापस विधानसभा को भेजना आवश्यक है।
- राज्यपाल बिलों को मंजूरी देने या रोकने में विवेकाधिकार रखते हैं।
- Article 200 के अंतर्गत उनके निर्णय न्यायालय के दायरे में नहीं आते।
- कोर्ट केवल तब दिशा-निर्देश दे सकती है जब राज्यपाल लंबे समय तक बिना कारण कार्रवाई न करें।
- Article 361 की सुरक्षा के बावजूद, लंबे विलंब की स्थिति में निर्देश दिए जा सकते हैं।
- राष्ट्रपति की मंजूरी (Article 201) भी किसी न्यायिक समय-सीमा के अधीन नहीं है।
- राष्ट्रपति प्रत्येक विधेयक पर कोर्ट से सलाह लेने के लिए बाध्य नहीं हैं।
- संविधान में ‘Deemed Assent’ की कोई अवधारणा नहीं है।
- इसलिए, कोर्ट Article 142 के तहत ‘Deemed Assent’ घोषित नहीं कर सकती।
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