बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा रद्द की, कहा—पक्षों को मिलाने का था छठा इंद्रिय बोध
सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार मामले में दोषसिद्धि रद्द करते हुए कहा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति का संबंध था और अब विवाह के बाद न्याय के हित में कार्यवाही समाप्त की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने एक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को रद्द करते हुए कहा कि उसे यह “छठा इंद्रिय बोध” था कि दोनों पक्षों को एक साथ लाया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता महिला और दोषी व्यक्ति अब एक-दूसरे से विवाह कर चुके हैं और साथ रह रहे हैं। अदालत ने माना कि दोनों के बीच सहमति से बना संबंध गलतफहमी के कारण आपराधिक रंग में बदल गया था।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अपने 5 दिसंबर के फैसले में कहा कि जब यह मामला अदालत के समक्ष आया, तब तथ्यों पर विचार करने के बाद उन्हें लगा कि यदि दोनों विवाह का निर्णय लें तो उन्हें फिर से साथ लाया जा सकता है। पीठ ने बताया कि जुलाई में दोनों ने शादी कर ली और तब से साथ रह रहे हैं।
अदालत ने कहा कि यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है, जहां इस न्यायालय के हस्तक्षेप से अपीलकर्ता को न केवल सजा निलंबन का लाभ मिला, बल्कि उसकी दोषसिद्धि और सजा दोनों ही रद्द कर दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए शिकायत, दोषसिद्धि और सजा को समाप्त कर दिया।
और पढ़ें: केरल पंचायत में बड़ा सियासी उलटफेर: कांग्रेस नेताओं का इस्तीफा, बीजेपी के साथ मिलकर बनाई सत्ता
मामले में ट्रायल कोर्ट ने व्यक्ति को 10 साल की कठोर कैद और ₹55,000 के जुर्माने की सजा सुनाई थी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अप्रैल 2024 में उसकी सजा निलंबन याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्ष 2015 में दोनों की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी और आपसी सहमति से उनका संबंध बना। विवाह की तारीख टलने से महिला में असुरक्षा पैदा हुई, जिसके चलते नवंबर 2021 में एफआईआर दर्ज कराई गई। अब विवाह के बाद दोनों पक्षों की ओर से आपराधिक कार्यवाही रद्द करने का अनुरोध किया गया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के सागर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया कि अपीलकर्ता का निलंबन आदेश वापस लिया जाए और बकाया रकम का भुगतान किया जाए।
और पढ़ें: यह पार्टी की राय नहीं: शशि थरूर के प्रधानमंत्री की तारीफ पर कांग्रेस नेता की प्रतिक्रिया