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कैश विवाद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने पैनल रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने की जस्टिस वर्मा की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनका आचरण भरोसा नहीं जगाता, इसलिए याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ बनी जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने की मांग की थी। यह मामला कथित नकदी बरामदगी और न्यायिक आचरण से संबंधित विवाद का हिस्सा है।

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा, "जस्टिस वर्मा का आचरण विश्वास पैदा नहीं करता। ऐसी स्थिति में उनकी याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा।" अदालत ने यह भी जोड़ा कि जांच समिति ने तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाले हैं और रिपोर्ट को मनमाना नहीं कहा जा सकता।

पिछले कुछ महीनों से चल रहे इस विवाद में न्यायिक क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर कई सवाल उठे हैं। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ गंभीर टिप्पणियां की थीं, जिनमें कथित तौर पर उनके कार्यालय से जुड़े वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया था।

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जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए समिति की प्रक्रिया और निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट से रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की थी। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने यह साफ कर दिया कि समिति की सिफारिशों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।

यह फैसला न्यायपालिका में अनुशासन और पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित करता है और यह संदेश देता है कि किसी भी स्तर के न्यायिक पदाधिकारी के आचरण की जांच निष्पक्षता से की जाएगी।

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