सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया अकाउंट निलंबन और ब्लॉकिंग पर दिशा-निर्देश जारी करने की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया अकाउंट के निलंबन और ब्लॉकिंग से संबंधित दिशा-निर्देश बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, कहा यह नीतिगत मामला है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें सोशल मीडिया अकाउंट्स को निलंबित या ब्लॉक किए जाने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने कहा कि यह मामला नीतिगत (policy-related) क्षेत्र से जुड़ा है और इसमें न्यायिक हस्तक्षेप उचित नहीं होगा।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स निजी कंपनियां हैं जो अपने नियमों और सेवा शर्तों के अनुसार काम करती हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति को किसी प्लेटफॉर्म के निर्णय से आपत्ति है, तो वह उपलब्ध कानूनी उपायों का सहारा ले सकता है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बिना स्पष्ट कारण या उचित प्रक्रिया के अकाउंट्स को निलंबित कर देते हैं, जिससे नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होता है। उन्होंने मांग की थी कि सरकार और नियामक संस्थाएं ऐसे मामलों में एकसमान दिशानिर्देश जारी करें ताकि मनमानी पर रोक लग सके।
अदालत ने यह कहते हुए मामला खारिज किया कि ऐसी नीतिगत व्यवस्था बनाना न्यायपालिका का नहीं, बल्कि विधायिका और कार्यपालिका का कार्यक्षेत्र है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों की गतिविधियों को पहले से ही आईटी अधिनियम (Information Technology Act, 2000) और आईटी नियम 2021 के तहत विनियमित किया गया है।
इस फैसले के बाद स्पष्ट हो गया है कि सोशल मीडिया अकाउंट्स से संबंधित नीतियां या दिशानिर्देश बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर ही रहेगी। वहीं, नागरिकों को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए वैधानिक प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी गई है।