×
 

यूनियनों ने प्री-बजट बैठक में विरासत कर, अधिक कॉरपोरेट टैक्स और सामाजिक सुरक्षा विस्तार की मांग की

ट्रेड यूनियनों ने प्री-बजट बैठक में विरासत कर, अधिक कॉरपोरेट टैक्स और वेतनभोगियों को राहत देने की मांग की। साथ ही सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने और घरेलू मांग मजबूत करने पर ज़ोर दिया।

प्री-बजट बैठक के दौरान विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और संसाधन जुटाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स, वेल्थ टैक्स बढ़ाने और विरासत कर लागू करने की मांग की। यूनियनों ने कहा कि आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाइयों पर जीएसटी के माध्यम से आम जनता पर बोझ डालने के बजाय सरकार को बड़े करदाताओं और अमीर वर्ग पर कर बढ़ाने चाहिए।

ट्रेड यूनियनों ने अपने ज्ञापन में कहा कि वेतनभोगी वर्ग के लिए आयकर की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि बढ़ती महंगाई और आर्थिक दबाव के बीच उन्हें राहत मिल सके। उन्होंने यह भी मांग की कि ग्रेच्युटी की सीमा को पूरी तरह समाप्त किया जाए, जिससे कर्मचारियों को अधिक सुरक्षा मिले। इस दौरान जहां दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त ज्ञापन सौंपा, वहीं भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने अपनी मांगों का एक अलग सेट प्रस्तुत किया।

यूनियन नेताओं ने जोर दिया कि सरकार को देश में आम लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे घरेलू मांग भी मजबूत होगी। उनका कहना था कि वर्तमान कर संरचना में संशोधन कर श्रमिक वर्ग के हित में बदलाव किए जा सकते हैं। साथ ही, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि समाज में असुरक्षा की भावना लगातार बढ़ रही है।

और पढ़ें: अक्टूबर 2025 में आठ प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि शून्य, 14 महीनों का सबसे कमजोर प्रदर्शन

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई सार्वजनिक उपक्रमों में वेतन समझौते लागू नहीं किए जाते, जिससे कर्मचारियों में असंतोष है। यूनियनों ने केंद्र सरकार से सामाजिक क्षेत्र में खर्च बढ़ाने की अपील की, ताकि न्यूनतम सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर बोझ कम करने और अमीर वर्ग के योगदान को बढ़ाने के लिए नीतिगत कदम उठाने होंगे।

और पढ़ें: पाकिस्तान को चीन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों की आपूर्ति पर नौसेना की कड़ी नजर: उप नौसेना प्रमुख

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share