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H-1B वीज़ा के लिए सख्त जांच: ट्रंप प्रशासन ने मुक्त भाषण सेंसरशिप से जुड़े आवेदकों पर लगाई नई शर्तें

ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा जांच सख्त की, सेंसरशिप से जुड़े आवेदकों को अयोग्य ठहराने का प्रावधान जोड़ा। LinkedIn व रिज़्यूम की विस्तृत जांच अनिवार्य होगी। नीति नए और पुराने दोनों आवेदनों पर लागू।

ट्रंप प्रशासन ने बुधवार (3 दिसंबर 2025) को H-1B वीज़ा आवेदकों के लिए जांच प्रक्रिया को और कड़ा करने की घोषणा की। एक आंतरिक स्टेट डिपार्टमेंट मेमो के अनुसार, वे सभी आवेदक जिनका संबंध किसी भी प्रकार की मुक्त भाषण ‘सेंसरशिप’ से रहा है, उन्हें वीज़ा देने से रोका जा सकता है।

H-1B वीज़ा अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे भारत और चीन सहित कई देशों से विशेषज्ञ कर्मचारियों की भर्ती करती हैं। कई टेक कंपनियों के प्रमुखों ने पिछले चुनाव में ट्रंप का समर्थन भी किया था।

मंगलवार को सभी अमेरिकी दूतावासों को भेजे गए एक केबल में कॉन्सुलर अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे H-1B आवेदकों और उनके साथ यात्रा करने वाले परिवार के सदस्यों के रिज़्यूम तथा LinkedIn प्रोफाइल की समीक्षा करें। विशेषकर यह देखा जाए कि क्या वे मिसइन्फॉर्मेशन, डिसइन्फॉर्मेशन, कंटेंट मॉडरेशन, फैक्ट-चेकिंग, ऑनलाइन सेफ्टी या इसी तरह के क्षेत्रों में कार्यरत रहे हैं।

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यदि किसी आवेदक के खिलाफ यह प्रमाण मिलता है कि वह अमेरिका में संरक्षित अभिव्यक्ति की सेंसरशिप या सेंसर करने के प्रयास में शामिल रहा है, तो उसे इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट के तहत अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।

हालांकि स्टेट डिपार्टमेंट ने इस नई नीति पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन केबल में कहा गया है कि सभी वीज़ा श्रेणियों पर यह नीति लागू होगी। परंतु H-1B आवेदकों की जांच अधिक कठोर होगी, क्योंकि वे प्रायः सोशल मीडिया या वित्तीय सेवा क्षेत्रों में कार्य करते हैं, जहाँ मुक्त भाषण की निगरानी के आरोप उठते रहे हैं।

नई जांच प्रक्रिया नए और दोबारा आवेदन करने वाले दोनों प्रकार के आवेदकों पर लागू होगी।

ट्रंप प्रशासन मुक्त भाषण को अपनी विदेश नीति का प्रमुख हिस्सा बना रहा है और यूरोपीय देशों में ‘दक्षिणपंथी विचारों’ के कथित दमन की आलोचना करता रहा है। मई में विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उन व्यक्तियों पर वीज़ा प्रतिबंध की चेतावनी दी थी जो अमेरिकियों की ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सेंसर करते हैं।

ट्रंप प्रशासन पहले ही छात्र वीज़ा की जांच कड़ी कर चुका है और सितंबर में H-1B फीस भी बढ़ा दी थी। ट्रंप व रिपब्लिकन नेताओं का दावा है कि बाइडेन प्रशासन ने सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति को दबाने को बढ़ावा दिया है, विशेषकर टीकों और चुनावों से जुड़े दावों पर।

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