हीरा व्यापार में भारत का कोई विकल्प नहीं: अमेरिकी उद्योग जगत
अमेरिकी उद्योग जगत ने कहा कि हीरा व्यापार में भारत का कोई विकल्प नहीं है। अमेरिका भारत के रत्न-आभूषण निर्यात का 30% से अधिक हिस्सा अकेले खरीदता है, जो साझेदारी की अहमियत दर्शाता है।
अमेरिकी उद्योग जगत के नेताओं का कहना है कि हीरा और रत्न व्यापार के क्षेत्र में भारत का कोई विकल्प नहीं है। उनका मानना है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका इतनी मजबूत है कि इसे बदलना लगभग असंभव है।
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, अमेरिका अकेले ही भारत के रत्न और आभूषण निर्यात का 30% से अधिक हिस्सा खरीदता है। यह आँकड़ा भारत को अमेरिकी बाजार का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनाता है और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की अहमियत को दर्शाता है।
अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधियों का कहना है कि भारत की विशेषज्ञता, उच्च गुणवत्ता वाले कारीगर, और उन्नत प्रसंस्करण तकनीक हीरा उद्योग को टिकाऊ बनाती हैं। वे मानते हैं कि भारत न केवल कच्चे हीरों को प्रसंस्कृत करने में विश्व में अग्रणी है, बल्कि डिजाइन और फिनिशिंग के क्षेत्र में भी unmatched है।
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हाल के वर्षों में कुछ भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, अमेरिकी उद्योग जगत का मानना है कि भारत से हीरा और आभूषण आयात करना अनिवार्य है। उनका कहना है कि अन्य देशों के पास न तो भारत जैसी प्रसंस्करण क्षमता है और न ही इतना विशाल कुशल श्रमिक वर्ग।
भारत के व्यापारिक संगठनों का भी कहना है कि यह साझेदारी दोनों देशों के लिए फायदेमंद है। भारत को स्थिर और बड़े बाजार का लाभ मिलता है, जबकि अमेरिका को उच्च गुणवत्ता वाले हीरे और आभूषण प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध होते हैं।
यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक व्यापार में आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन हीरे के मामले में भारत का दबदबा कायम है।
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