अमेरिका और सिंगापुर से भारत को मिला एक-तिहाई एफडीआई निवेश: आरबीआई सर्वे
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत को मिले कुल विदेशी निवेश का एक-तिहाई हिस्सा अमेरिका और सिंगापुर से आया, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र ने सबसे अधिक आकर्षण किया।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत को प्राप्त विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का एक-तिहाई हिस्सा संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.) और सिंगापुर से आया।
आरबीआई ने बुधवार (29 अक्टूबर 2025) को भारतीय कंपनियों की विदेशी देनदारियों और परिसंपत्तियों (Foreign Liabilities and Assets - FLA) पर आधारित वार्षिक जनगणना के प्रारंभिक परिणाम जारी किए। यह रिपोर्ट भारतीय कंपनियों की सीमा-पार निवेश गतिविधियों को दर्शाती है।
कुल 45,702 कंपनियों ने इस जनगणना में भाग लिया, जिनमें से 41,517 कंपनियों ने अपने बैलेंस शीट में एफडीआई या विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ODI) का उल्लेख किया। इनमें से 33,637 कंपनियाँ पिछले सर्वेक्षण में भी शामिल थीं, जबकि 7,880 कंपनियाँ पहली बार रिपोर्टिंग कर रही थीं।
आरबीआई के अनुसार, लगभग तीन-चौथाई कंपनियाँ विदेशी कंपनियों की सहायक इकाइयाँ थीं, जिनमें एक विदेशी निवेशक की हिस्सेदारी 50% से अधिक थी।
एफडीआई के मामले में, अमेरिका और सिंगापुर शीर्ष स्रोत रहे — संयुक्त रूप से भारत में आए कुल निवेश का एक-तिहाई हिस्सा इन्हीं दोनों देशों से आया। अन्य प्रमुख निवेशक देशों में मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम और नीदरलैंड शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 में कुल एफडीआई ₹68.75 लाख करोड़ रहा, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 20%, सिंगापुर की 14.3%, मॉरीशस की 13.3%, ब्रिटेन की 11.2% और नीदरलैंड की 9% रही।
विनिर्माण क्षेत्र ने सबसे अधिक 48.4% निवेश आकर्षित किया, जबकि सेवाएं क्षेत्र दूसरे स्थान पर रहा।
वहीं, विदेशी निवेश (ODI) में सिंगापुर (22.2%), अमेरिका (15.4%) और ब्रिटेन (12.8%) शीर्ष गंतव्य रहे।
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