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रोती हुई महिला से प्रभावित होकर गांव वालों ने पेड़ के नुकसान पर दिए पीपल के पौधे

पीपल का पेड़ कटने से दुखी महिला के लिए ग्रामीणों ने कई पौधे लाकर लगाए। यह घटना पर्यावरण प्रेम और मानवीय संवेदना का सुंदर उदाहरण बनी।

एक भावनात्मक और प्रेरणादायक घटना में, एक गांव के लोगों ने उस महिला के प्रति करुणा दिखाई, जो अपने घर के पास स्थित पीपल के पेड़ के कट जाने से दुखी थी। महिला की आंखों में आंसू देखकर ग्रामीण इतने भावुक हो गए कि उन्होंने मिलकर उसके लिए कई पीपल के पौधे लेकर आए और उन्हें उसके आंगन में लगाया।

यह घटना 13 अक्टूबर को एक छोटे से गांव में हुई, जहां वर्षों से लगा हुआ पीपल का पेड़ स्थानीय लोगों की आस्था और पर्यावरण का प्रतीक था। पेड़ के अनजाने में काटे जाने से महिला भावनात्मक रूप से टूट गई थी, क्योंकि वह उसे अपने परिवार का हिस्सा मानती थी।

जब ग्रामीणों को यह बात पता चली, तो उन्होंने तुरंत मिलकर फैसला किया कि वे उसके दुख को कम करने के लिए कुछ करेंगे। अगले ही दिन, गांव के दर्जनों लोग पीपल के पौधे लेकर पहुंचे और सामूहिक रूप से उन्हें उसके घर के पास लगाया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पेड़ नहीं, बल्कि “जीवन और भावना” का प्रतीक है, जिसे फिर से जीवित किया जा सकता है।

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महिला ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गांववालों की इस पहल ने उसका दुख कम कर दिया और उसे यह महसूस कराया कि प्रकृति के प्रति प्रेम और एकता अभी भी समाज में जीवित है।

पर्यावरणविदों ने इस कदम की सराहना की और कहा कि यह घटना दर्शाती है कि स्थानीय समुदाय पर्यावरण संरक्षण में कितना योगदान दे सकते हैं। ऐसे प्रयास न केवल पेड़ों की रक्षा करते हैं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और भावनात्मक संवेदनशीलता को भी मजबूत बनाते हैं।

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