पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध काम नहीं करता, संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को कारगर नहीं माना। कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय को सभी हितधारकों की राय लेकर संतुलित समाधान निकालने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की नीति पर सवाल उठाया है और कहा है कि यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिससे न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य की सुरक्षा हो बल्कि त्योहारों और सांस्कृतिक परंपराओं का भी सम्मान किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह पटाखों के मुद्दे को सभी हितधारकों के साथ चर्चा करके हल करे। इसमें स्थानीय प्रशासन, उद्योग समूह, पर्यावरण विशेषज्ञ और आम जनता की राय शामिल होनी चाहिए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि नीति बनाते समय पर्यावरण सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर ध्यान देना होगा, लेकिन साथ ही त्योहारों और सामाजिक आयोजनों के पारंपरिक महत्व को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल प्रतिबंध लगाने से समस्या हल नहीं होती। लोगों में जागरूकता बढ़ाने, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने और समय और स्थान के आधार पर नियम बनाने की आवश्यकता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्रदूषण कम करने में मदद करेगा, बल्कि लोगों के त्योहार मनाने के अनुभव को भी प्रभावित नहीं करेगा।
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विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम भारत में सस्टेनेबल और जागरूक उपभोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय यह संदेश देता है कि पारंपरिक गतिविधियों और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करना संभव है और इसके लिए नीति निर्माताओं को सभी पक्षों की राय को शामिल करना चाहिए।
इस तरह, सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के मामले में केवल प्रतिबंध पर निर्भर रहने की बजाय संतुलित और समावेशी समाधान की आवश्यकता को प्रमुखता से रेखांकित किया है।
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