हिंदी साहित्य के महानायक विनोद कुमार शुक्ल को अंतिम विदाई, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने दिया कंधा
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को रायपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई, जहां मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वयं कंधा दिया।
हिंदी साहित्य जगत के प्रख्यात लेखक, कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को बुधवार को छत्तीसगढ़ ने भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ अंतिम विदाई दी। 88 वर्ष की आयु में उम्र संबंधी बीमारी के कारण उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके अंतिम संस्कार में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, साहित्यकार, प्रशंसक और आम नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए।
राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित मारवाड़ी श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार की रस्में निभाई गईं। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय स्वयं मौजूद रहे और उन्होंने दिवंगत साहित्यकार की पार्थिव देह को कंधा देकर उन्हें अंतिम विदाई दी। मुख्यमंत्री की यह उपस्थिति राज्य की ओर से शुक्ल के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक मानी गई।
अंतिम यात्रा के दौरान उनके साहित्यिक योगदान को याद करते हुए लोगों ने उनकी रचनात्मक दृष्टि, सादगी और मानवीय संवेदनाओं से भरी लेखनी को नमन किया। विनोद कुमार शुक्ल को उनकी विशिष्ट भाषा शैली, गहरे दार्शनिक भाव और आम जीवन की सूक्ष्म अनुभूतियों को शब्द देने के लिए जाना जाता था।
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प्रसिद्ध कवि और लेखक कुमार विश्वास भी शुक्ल के निवास पर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का निधन भारतीय कविता और साहित्य के एक युग का अंत है। उनके अनुसार, शुक्ल की रचनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
विनोद कुमार शुक्ल ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी और अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को सोचने पर मजबूर किया। उनके निधन से साहित्य जगत ने एक ऐसा स्तंभ खो दिया है, जिसकी भरपाई कर पाना आसान नहीं होगा।