×
 

विष्णु देव साय: घावों से उभरता बस्तर, लौट रही है शांति और विकास की उम्मीद

दशकों की माओवादी हिंसा झेलने के बाद बस्तर अब विकास और शांति की राह पर है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र में उम्मीद लौट रही है।

भारत के जिन क्षेत्रों ने सबसे अधिक पीड़ा सही है, उनमें बस्तर का नाम प्रमुख है। लेकिन अब यही क्षेत्र नई उम्मीदों की मिसाल बन रहा है। छत्तीसगढ़ का यह आदिवासी इलाका जो दशकों तक माओवादी हिंसा और अलगाव की छाया में रहा, अब शांति और विकास की दिशा में बढ़ रहा है।

कभी जिस बस्तर में किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बाजार तक पहुंचने में कठिनाई होती थी, आज वे खुले तौर पर व्यापार कर पा रहे हैं। बच्चे बिना डर के स्कूल जा रहे हैं और परिवार वे कल्याणकारी योजनाएं प्राप्त कर रहे हैं जो पहले उनके लिए केवल सपने जैसी थीं।

इस परिवर्तन के पीछे केंद्र और राज्य दोनों का संयुक्त प्रयास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने माओवादी हिंसा समाप्त करने के लिए पूरी ताकत से सहयोग दिया है। इस सहयोग से न केवल सुरक्षा की स्थिति बेहतर हुई है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया को भी गति मिली है।

और पढ़ें: अक्टूबर में यूक्रेन पर रूसी मिसाइल हमले 2.5 साल के उच्चतम स्तर पर: रिपोर्ट

यह समय प्रतीकात्मक भी है — जब प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अपना 75वां जन्मदिन मनाया है और छत्तीसगढ़ नवंबर में अपने राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है। ये दोनों उपलब्धियां इस बात की याद दिलाती हैं कि बस्तर का विकास केवल एक क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय उपलब्धि है।

बस्तर का यह परिवर्तन न केवल हिंसा से उभरने की कहानी है, बल्कि यह भारत के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में शांति, प्रगति और आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़ रहा है।

और पढ़ें: इज़राइल ने कहा: गाज़ा से मिले तीन शव बंधकों के नहीं हैं

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share