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अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों की सुरक्षा हेतु दुनिया की पहली संधि को राष्ट्रों ने दी मंजूरी

दुनिया के देशों ने अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों की सुरक्षा हेतु पहली वैश्विक संधि को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य समुद्री जैव विविधता बचाना, प्रदूषण रोकना और भविष्य के लिए संसाधन सुरक्षित करना है।

दुनिया भर के देशों ने अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए पहली बार एक ऐतिहासिक संधि को मंजूरी दे दी है। यह संधि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने और समुद्री जैव विविधता की रक्षा के उद्देश्य से बनाई गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए समुद्री संसाधनों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

संयुक्त राष्ट्र की पहल पर तैयार इस संधि को “हाई सीज़ ट्रीटी” नाम दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र, यानी वे समुद्री इलाके जो किसी एक देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, वैश्विक पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अब तक इन क्षेत्रों में अत्यधिक शिकार, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते गंभीर खतरे पैदा हो गए थे।

इस संधि के अंतर्गत सदस्य राष्ट्र समुद्री क्षेत्रों में संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas) बनाने, पर्यावरणीय आकलन करने और समुद्री गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समुद्र केवल आर्थिक शोषण का साधन न बने, बल्कि भविष्य के लिए टिकाऊ और संतुलित उपयोग का माध्यम भी रहे।

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पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों ने इस संधि का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह जलवायु परिवर्तन से निपटने और समुद्री जीवन को बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

यह ऐतिहासिक संधि न केवल पर्यावरणीय संरक्षण का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वैश्विक सहयोग के जरिए पृथ्वी की साझा संपदा की रक्षा की जा सकती है।

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