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सबकुछ बह गया: यमुना बाढ़ से घर डूबे, दिल्ली में राहत शिविरों में जूझते परिवार

दिल्ली में यमुना नदी की बाढ़ से घर और फसलें डूब गईं। प्रभावित परिवार राहत शिविरों में शरण लिए संघर्ष कर रहे हैं, रोज़गार और आजीविका पूरी तरह छिन गई।

दिल्ली में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर ने सैकड़ों परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल दिया है। नदी किनारे बसे घर पानी में डूब गए हैं और लोग मजबूर होकर राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों का कहना है कि उनका सबकुछ बह गया है – घर, सामान, और आजीविका के साधन।

राम किशन नामक एक किसान ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि उनकी पूरी फसल नष्ट हो गई और अब परिवार के पास जीविका का कोई साधन नहीं बचा। उन्होंने कहा, “हमारे पास न खेत रहे, न घर। बच्चों और परिवार को किसी तरह राहत शिविर में संभाल रहे हैं।”

राहत शिविरों में भी परिवारों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सीमित संसाधन, स्वच्छ पेयजल की कमी और चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता लोगों की परेशानी और बढ़ा रही है। कई प्रभावित परिवार छोटे बच्चों और बुजुर्गों की सेहत को लेकर चिंतित हैं।

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स्थानीय प्रशासन ने राहत सामग्री पहुंचाने और प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का काम शुरू किया है। हालांकि, पीड़ितों का कहना है कि मदद अभी भी अपर्याप्त है और उन्हें लंबे समय तक शिविरों में रहने की मजबूरी झेलनी पड़ सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना का लगातार बढ़ता जलस्तर जलवायु परिवर्तन और शहरी अव्यवस्थित विकास का संकेत है। बाढ़ से न केवल घरों और फसलों का नुकसान हुआ है बल्कि हजारों लोगों के भविष्य पर भी संकट मंडरा रहा है।

यह आपदा दिखाती है कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में भी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी पर्याप्त नहीं है। प्रभावित लोग अब सरकार और प्रशासन से ठोस और त्वरित मदद की उम्मीद कर रहे हैं।

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