दिल्ली सरकार ने पुराने वाहनों पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने इस प्रतिबंध को लेकर 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के पुराने आदेश को बरकरार रखा गया था।
यह मामला अब मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ के सामने लाया जाएगा, और इस पर सुनवाई 28 जुलाई को संभावित है।
दिल्ली सरकार का तर्क है कि 10 वर्ष पुराने डीज़ल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों पर blanket (पूर्ण) प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है और इससे लाखों लोगों को रोज़गार और जीवन-यापन में कठिनाई हो रही है। सरकार ने कोर्ट से इस आदेश को संशोधित करने या वापस लेने की अपील की है ताकि ऐसे वाहनों को वैकल्पिक मानकों पर चलने की अनुमति दी जा सके।
सरकार का यह भी कहना है कि कुछ पुराने वाहन तकनीकी रूप से अभी भी सुरक्षित और प्रदूषण मानकों के अनुरूप हैं। ऐसे में उन्हें एक ही नियम के तहत प्रतिबंधित करना अन्यायपूर्ण है।
यह मामला खासतौर पर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने निजी या व्यावसायिक उपयोग के लिए पुराने वाहन चला रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले दिनों में दिल्ली और अन्य शहरी क्षेत्रों में वाहन नीति को नया स्वरूप दे सकता है।
यह याचिका प्रदूषण नियंत्रण और नागरिक सुविधा के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।