ऑटोमोबाइल दिग्गज मारुति सुज़ुकी ने सोमवार (1 दिसंबर 2025) को चेतावनी दी कि यदि सरकार ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अवैज्ञानिक या अन्यायपूर्ण मानदंड लागू करती है, तो भारतीय बाजार से छोटी कारों को बंद करना पड़ सकता है। कंपनी के अनुसार, ये प्रस्तावित नियम छोटे वाहनों के लिए आर्थिक रूप से असंभव स्थिति पैदा कर सकते हैं।
मारुति सुज़ुकी के कॉरपोरेट अफेयर्स के कार्यकारी निदेशक राहुल भारती ने टाटा मोटर्स और महिंद्रा की आलोचनाओं को सख्ती से खारिज किया। दोनों कंपनियों ने प्रस्तावित वजन-आधारित उत्सर्जन छूट (weight-based emission exemptions) को “मनमाना” बताया था। भारती ने इन टिप्पणियों को “गलत तथ्यों पर आधारित” और “गैस-गज़लर बनाने वाली कंपनियों द्वारा जानबूझकर फैलाया गया नैरेटिव” करार दिया।
उन्होंने कहा कि छोटे वाहन पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, क्योंकि वे बड़े और भारी वाहनों की तुलना में कम ईंधन खपत करते हैं और उनका कार्बन फुटप्रिंट भी कम होता है। भारती के अनुसार, यदि नियमों को वैज्ञानिक तरीके से डिजाइन नहीं किया गया, तो छोटे वाहनों के निर्माण की लागत बढ़ जाएगी, जिससे उनकी कीमत असंगत रूप से बढ़ सकती है और निर्माता उन्हें बाजार से हटाने को मजबूर हो सकते हैं।
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भारती ने यह भी कहा कि एक उचित और संतुलित नीति वही होगी, जो सभी वाहन वर्गों को उनकी वास्तविक ईंधन खपत और उत्सर्जन के आधार पर परखती हो। उन्होंने उद्योग को प्रतिस्पर्धा के बजाय तथ्यों पर आधारित चर्चा की सलाह दी।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे बाजार में छोटे वाहन लाखों ग्राहकों के लिए किफायती और व्यावहारिक विकल्प हैं। यदि ये वाहन बंद होते हैं, तो व्यक्तिगत वाहन खरीदने का खर्च काफी बढ़ सकता है। सरकार के लिए भी यह चुनौती है कि वह पर्यावरण संरक्षण और उद्योग की व्यवहार्यता के बीच संतुलन बनाए रखे।
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