मलयालम सिनेमा को अपनी अनूठी अभिनय शैली और सशक्त कहानियों से नई दिशा देने वाले प्रख्यात अभिनेता, पटकथा लेखक और फिल्मकार श्रीनिवासन का शनिवार, 20 दिसंबर 2025 को कोच्चि में निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे। लंबे समय से हृदय संबंधी और अन्य बीमारियों से जूझ रहे श्रीनिवासन के निधन से मलयालम फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है।
श्रीनिवासन अपने पीछे पत्नी विमला श्रीनिवासन और दो पुत्र—अभिनेता और निर्देशक विनीथ श्रीनिवासन तथा अभिनेता ध्यान श्रीनिवासन—को छोड़ गए हैं।
6 अप्रैल 1956 को केरल के कन्नूर जिले के थलास्सेरी के पास पट्टियम में जन्मे श्रीनिवासन ने लगभग पांच दशकों तक फैले अपने फिल्मी करियर में 225 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने न केवल एक अभिनेता के रूप में, बल्कि एक संवेदनशील पटकथा लेखक और निर्देशक के रूप में भी मलयालम सिनेमा को समृद्ध किया।
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उनकी पटकथाओं में सामाजिक व्यंग्य और आम आदमी की समस्याओं को बारीकी से दर्शाया गया। ‘संदेशम’, ‘अज़हकिया रावणन’, ‘वरवेल्पु’, ‘नाडोडिकट्टु’ और ‘थलायनामंत्रम’ जैसी फिल्में आज भी मलयालम सिनेमा की यादगार कृतियों में गिनी जाती हैं।
निर्देशक के तौर पर उनकी फिल्में ‘वडक्कुनोक्कियंत्रम’ और ‘चिंताविष्टयाय श्यामला’ को न सिर्फ समीक्षकों की सराहना मिली, बल्कि दर्शकों ने भी इन्हें खूब पसंद किया। उनकी फिल्मों में हास्य के साथ-साथ गहरी सामाजिक टिप्पणी देखने को मिलती थी।
श्रीनिवासन को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और केरल राज्य फिल्म पुरस्कार के छह पुरस्कार प्राप्त हुए।
उनका अंतिम संस्कार रविवार, 21 दिसंबर 2025 को सुबह 10 बजे त्रिपुनिथुरा के पास कंदनाडु स्थित उनके निवास पर किया जाएगा। उनके निधन से भारतीय सिनेमा ने एक सशक्त और संवेदनशील रचनाकार को खो दिया है।
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