क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयासों पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं और आर्थिक वृद्धि की गति को धीमा कर सकते हैं। मूडीज़ के अनुसार, भारत के लिए यह चुनौती ऐसे समय पर सामने आई है जब सरकार "मेक इन इंडिया" और निर्यात-आधारित विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए बड़े पैमाने पर नीतिगत कदम उठा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात महंगे हो सकते हैं, जिससे भारतीय उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता घटेगी। यह स्थिति खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान और कुछ उपभोक्ता उत्पादों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
मूडीज़ ने यह भी कहा कि अगर भारत को अमेरिकी दंडात्मक टैरिफ से बचने के लिए रूसी कच्चे तेल के आयात में कटौती करनी पड़ी, तो इससे ऊर्जा आपूर्ति पर दबाव बढ़ सकता है। मौजूदा समय में रूस भारत के लिए कच्चे तेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, और इससे सस्ते तेल के विकल्प सीमित हो जाएंगे। पर्याप्त मात्रा में वैकल्पिक आपूर्ति सुनिश्चित करना कठिन हो सकता है, जो ऊर्जा लागत बढ़ाकर विनिर्माण और परिवहन क्षेत्र पर असर डालेगा।
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विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका के साथ व्यापार तनाव बढ़ता है, तो यह निवेशकों की धारणा को भी प्रभावित कर सकता है और दीर्घकालिक रूप से भारत के विकास लक्ष्यों में बाधा डाल सकता है। मूडीज़ ने सुझाव दिया है कि भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
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