घरेलू मुद्रा बाजार में रुपये में गिरावट देखी गई। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 22 पैसे कमजोर होकर 87.78 के स्तर पर पहुँच गया। विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) कारोबारियों का कहना है कि रुपये पर यह दबाव अमेरिकी डॉलर की बढ़ती मांग और अमेरिकी टैरिफ को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण आया है।
जानकारों के अनुसार, 25% अमेरिकी आयात शुल्क (टैरिफ) 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर लागू होने जा रहा है, जिससे आयातकों द्वारा डॉलर की मांग अचानक बढ़ गई है। यह बढ़ती मांग रुपये पर दबाव डाल रही है और विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर को मज़बूत बना रही है।
फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि टैरिफ लागू होने से भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ सकती है और वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, विदेशी फंड की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी रुपये की गिरावट को और तेज कर दिया है।
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पिछले कारोबारी सत्र में रुपया डॉलर के मुकाबले 87.56 पर बंद हुआ था। हाल के हफ्तों में रुपये में लगातार कमजोरी देखी जा रही है, जो यह संकेत देती है कि निवेशकों में अमेरिकी डॉलर को लेकर भरोसा बढ़ रहा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि यह दबाव जारी रहा, तो रुपया निकट भविष्य में और नीचे जा सकता है।
सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की ओर से इस गिरावट को थामने के लिए संभावित हस्तक्षेप की संभावना पर भी बाज़ार की नज़र बनी हुई है।
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