विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर उत्तर कोलकाता की ऐतिहासिक गलियों में संस्कृतियों का अद्वितीय संगम देखने को मिला। छलताबागान दुर्गापूजा पंडाल इस अवसर पर वैश्विक मेलजोल का केंद्र बन गया, जब ब्रिटेन, फ्रांस, एस्टोनिया, ग्वाटेमाला, जर्मनी, इटली, श्रीलंका और यूक्रेन के राजदूतों, उच्चायुक्तों और वाणिज्य दूतावास प्रतिनिधियों ने यहां भाग लिया।
छलताबागान दुर्गापूजा समिति के चेयरमैन सुंदीप भूटोरिया ने इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। उन्होंने उन्हें केवल राजनयिक अतिथि नहीं, बल्कि सम्मानित आगंतुक के रूप में आमंत्रित किया ताकि वे बंगाल की शताब्दियों पुरानी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को नजदीक से अनुभव कर सकें।
पंडाल में पारंपरिक कलाकृतियों, मंत्रोच्चार और उत्सव की ऊर्जा ने विदेशी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामुदायिक भावना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक बना।
और पढ़ें: युवा दिल की बीमारियों से क्यों मर रहे हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है
इटली के भारत में राजदूत एंटोनियो एनरिको बार्टोली ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “यहां की लय बेहद मोहक है… यह समावेशी और अद्भुत अनुभव है। यह मेरा पहला दुर्गापूजा दौरा है, लेकिन निश्चित रूप से आखिरी नहीं।”
छलताबागान दुर्गापूजा का यह आयोजन इस बात का सजीव उदाहरण है कि कैसे एक स्थानीय त्योहार वैश्विक संवाद का माध्यम बन सकता है। उत्तर कोलकाता की गलियां एक बार फिर पुराने दौर की काव्यात्मक छवि के साथ जीवंत हो उठीं और विश्व को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का साक्षी बनाया।