हैदराबाद डिज़ास्टर रिस्पॉन्स एंड एसेट प्रोटेक्शन एजेंसी (HYDRAA) को बने एक साल हो चुका है। इस संस्था को अक्सर बुलडोज़र कार्रवाई के लिए जाना जाता है, लेकिन इसका असली मिशन इससे कहीं बड़ा है। HYDRAA का उद्देश्य शहर की झीलों को पुनर्जीवित करना, सार्वजनिक विश्वास को बहाल करना और हैदराबाद के शहरी भविष्य को नई दिशा देना है।
एजेंसी के प्रमुख का कहना है कि कठोर कार्रवाई करना मजबूरी है क्योंकि अवैध निर्माण और अतिक्रमण ने शहर की प्राकृतिक जल निकासी और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। उनका कहना है कि ध्वस्तीकरण सिर्फ समस्या का एक हिस्सा है, जबकि असली लक्ष्य झीलों और प्राकृतिक संसाधनों को पुनः प्राप्त करना और टिकाऊ शहरी विकास सुनिश्चित करना है।
पिछले एक साल में HYDRAA ने कई झीलों को अतिक्रमण से मुक्त कराया, जिससे बाढ़ के जोखिम में कमी आई और जल प्रबंधन में सुधार हुआ। इसके साथ ही, संस्था ने कानूनी रणनीति अपनाई है जिसके तहत बिना अनुमति बने ढांचों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि यह न केवल कानून का पालन सुनिश्चित करता है, बल्कि लोगों में सरकार के प्रति भरोसा भी बढ़ाता है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि HYDRAA जैसा मॉडल भारत के हर बड़े शहर में होना चाहिए। यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा, बल्कि शहरी अव्यवस्था, अवैध अतिक्रमण और बुनियादी ढांचे की समस्याओं का भी समाधान करेगा। हैदराबाद का अनुभव दिखाता है कि कड़े लेकिन न्यायपूर्ण कदमों से शहरों का भविष्य बेहतर बनाया जा सकता है।