भारत के पुराने समय के राज-युगीन क्लब और जिमखाने दशकों से देश की अमीर और प्रभावशाली आबादी के सामाजिक अड्डे रहे हैं। इन क्लबों में प्रवेश केवल पुराने पैसेवालों, राजघरानों, नौकरशाहों और सेना के अधिकारियों तक सीमित रहा है, जहां सिगार, स्क्वैश और गोल्फ के जरिए सामाजिक और व्यावसायिक पूंजी बनाई जाती थी।
लेकिन आज भारत में एक नया वर्ग उभर रहा है — स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी और क्रिएटिव इंडस्ट्री से आए नए अमीर। यह नई पीढ़ी पुराने रिवाज़ों से परे, एक ऐसे प्लेटफॉर्म की मांग कर रही है जो आधुनिक हो, समावेशी हो और नेटवर्किंग के लिए उपयुक्त हो। इसी मांग ने नए क्लबों की लहर को जन्म दिया है — जैसे कि Soho House, जिसका मुंबई के जुहू बीच पर पहला क्लब बेहद सफल रहा है।
Soho House जैसे क्लब पुराने क्लबों से अलग हैं: यहां सदस्यता पारिवारिक विरासत नहीं बल्कि व्यक्तिगत उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं के आधार पर दी जाती है। यहां जेंडर, वर्ग या पेशे के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता।
हालांकि, ये क्लब अब भी अत्यधिक महंगे हैं — जैसे कि Soho House की वार्षिक सदस्यता ₹3.2 लाख है — जो आम भारतीय की पहुंच से बाहर है। फिर भी, नए क्लब तेजी से खुल रहे हैं क्योंकि भारत में उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
यह ट्रेंड भारत की नई आर्थिक संरचना और असमानता के बीच विकसित होती एक नई जीवनशैली का प्रतीक है।