देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने एक बड़े टैक्सोनोमिक अध्ययन में पूर्वोत्तर भारत से 13 नई उभयचर प्रजातियों को दर्ज किया है। ये प्रजातियाँ विज्ञान के लिए नई हैं और इन्हें हाल ही में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय जर्नल Vertebrate Zoology के नवीनतम अंक में वर्णित किया गया है।
इस अध्ययन के लेखक WII के बिटुपन बोरुआह और अभिजीत दास हैं, जबकि जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के संग्रहालयों से जुड़े वी. दीपक ने भी इसमें योगदान दिया।
यह खोज पिछले एक दशक में भारत में किसी एक प्रकाशन में दर्ज किए गए सबसे अधिक कशेरुकी प्रजातियों की संख्या है। शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से बश फ्रॉग्स (bush frogs) पर टैक्सोनोमिक संशोधन किया, जिसके परिणामस्वरूप इन नई प्रजातियों की पहचान संभव हो पाई।
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पूर्वोत्तर भारत जैव विविधता के लिहाज से अत्यंत समृद्ध क्षेत्र माना जाता है। यहाँ की उभयचर प्रजातियाँ पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संकेत देती हैं। इन नई प्रजातियों की खोज से क्षेत्रीय जैव विविधता के संरक्षण और अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
WII के इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में अभी भी कई अज्ञात और अप्रकाशित प्रजातियाँ मौजूद हैं, जिनका वैज्ञानिक अध्ययन होना आवश्यक है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज न केवल जैव विविधता में वृद्धि को दर्शाती है, बल्कि क्षेत्रीय संरक्षण प्रयासों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगी।
इस तरह के अध्ययनों से स्थानीय और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को अमूल्य जानकारी मिलती है और भारत की जैव विविधता को समझने और संरक्षित करने में मदद मिलती है।
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